Monday, November 14, 2011

"गुड़िया" ...My Childhood Baby Doll

गुड़िया

My New poem "गुडीया"....Started to write almost after 3 years...Not sure how good I will be in sketching this "imaginary" Friendship... But yes this Friend is very special for me than any other human being or any other relation I came across in my life. All blood relations you get by birth, Friendship is the only relation which you get by chance. But you need to pour love and care to nurture this tiny plant for it to grow up and give you its shade of affection.



मेरा एक दोस्त अनोखा है
आगे जिसके 'दोस्ती' का रिश्ता भी फिका है |
पूछे जो कोई उनसे क्या नाता है,
कह देंगे, जिंदगी का सबसे कीमती तोहफा है ||


सपनों मे खोया करते थे,
सितारों से दोस्ती किया करते थे |
तारा एक कुछ खास था
रखा ईश्वर ने अपने पास था ,
संग उसे ही धरती हम लाए थे
वरना ऐसे इंसान उसने भी कहाँ बनाए थे ||


चेहरे पे मासूमियत
होठों पे ना कोई शिकायत |
आँखो से यूँ बातें करती
देखते ही दिल मे उतर जाती ||




लड़ती ना झगडती,
चॉकलेट्स-आइसक्रीम से उसकी दोस्ती |
बारिश मे भिगती, पेड़ों पे भी चढ़ती 
नाचती गाती, दिल जो चाहे हर चीज़ वो करती...
रहे एक कदम आगे, हो जहाँ कोई मस्ती ||




जब दिल गुमराह हो जाता
राहों मे अंधेरा छा जाता |
तब हर दर्द की दवा बन जाती
दोस्त मेरी 'रोशनी' बन राह दिखाती ||



याद है कभी मै रोया था,
"माँ" की तरहा उसने अपनाया था |
हर धूप छाँव मे मेरा साया था
वहीं हमने एक अनोखा रिश्ता पाया था ||


बचपन, दिवानापन, खुशी हो या गम,
हमने उसे सुनाया है |
हसते-रोते, हर मुश्किल मे साथ देते,
उसने भी "दोस्ती" का रिश्ता निभाया है ||


दोस्त मेरा अपना है,
जागती आँखो से देखा एक 'सपना' है |
राह दिखाए वो 'रोशनी' है,
'दोस्ती' निभाना सिखाए ऐसी वो 'कहानी' है ||

जादू की पूडिया है,
हसती खेलती मासुम सी "गुड़िया" है |
जिसने मुझे समझा ऐसी वो 'पहेली' है
"गुड़िया" मेरे बचपन की एक 'सहेली' है ... !!!

......दोस्त मेरा अनोखा है......
जिंदगी का सबसे कीमती तोहफा है ||


                                             Written By
                                                      Shyam Wadhekar
                                           (Nov 2011 , Pune)